सामान्य जानकारी
इतिहास
श्रीगंगानगर प्रदेश के 32 जिलों में एक महत्वपूर्ण सीमान्त जिला है । बीकानेर संभाग के चार जिलों में यह सुदूर उत्तरी जिला है । थार रेगिस्तान के रेतीले धोरों से आच्छादित राजस्थान प्रदेश के उत्तरी भू-भाग का जीवान्त जनपद श्रीगंगानगर अपने आप में अनूठा इतिहास संजोये हुए हैं ।
जोधपुर के निर्माता राव जोधा के पुत्र बीका ने 1488 में बीकानेर की स्थापना की थी । कहा जाता है कि बीकानेर के इतिहास में श्रीगंगानगर जिले का इतिहास छिपा है । राव बीका के उपरान्त राव लूणकरण ने बीकानेर राज्य पर राज्य किया । लूणकरण के पुत्र जयसिहं ने बीकानेर राज्य की सीमाओं को बढाने के लिये अनेक युद्ध किये । वीर और निर्भीक राजपूत शासकों के साहस पूर्ण प्रयत्नों से 15वीं शताब्दी में एक नये बीकानेर राज्य का निर्माण किया गया । वर्तमान में श्रीगंगानगर जिले के नाम से ज्ञात यह भू-भाग भूतपूर्व बीकानेर रियासत का भाग रहा है । भूतपूर्व बीकानेर रियासत वृहद राजस्थान के संयुक्त राज्य का हिस्सा बना और 30 मार्च 1949 को मामूली समायोजन के साथ श्रीगंगानगर क्षेत्र को एक नये जिल का रुप दिया गया ।
स्थिति
अक्षांश 28.4 से 30.6
देशान्तर 72.2 से 75.3
भौगेलिक क्षेत्रफल 1093352 हैक्टेयर वर्ग किमी0
त्यौहार, उत्सव तथा मेले
दीपावली, होली तथा रक्षाबन्धन इत्यादि त्यैहारों के अतिरिक्त पंजाव राज्य से सटा होने के कारण लौहड़ी पर्व भी अति उल्लास पूर्वक मनाया जाता है ।
मौसम
जिले में मौसम साधारणतया गर्मी में अत्यिधक गर्म तथा सर्दी में अत्यधिक ठण्डा रहता हैं । दिन का तापमान गर्मी में 40 से 45 डिग्री तक तथा सर्दी में 10 से 12 डिग्री रहता है ।
पहनावा
पुरुषवर्ग की पारम्परिक वेष-भूषा सफेद कुर्ता-धोती तथा स्त्री वर्ग की पारम्पिरक वेष-भूषा पीला पोमचा कुर्ता-घाघरा के साथ-साथ सलवाल कुर्ता तथा साड़ी का प्रचलन भी है ।
खानपान-रहनसहन
खानपान में मुख्यत: गेंहू का उपयोग अधिक किया जाता है । सर्दियों में अधिकांशत: मक्की की रोटी तथा सरसों के साग (सब्जी) को अत्यधिक चाव से खाया जाता है ।
भाषा
जिलें में मुख्य भाषा राजस्थानी है । हिन्दी तथा पंजावी भाषा भी प्रचलन में है और दोनों भाषाओं में एक दूसरे के शब्दों का मिश्रण हो चुका है ।
सिचाई
जिलें का अधिकतर क्षेत्र नहरों द्वारा सिचितं है जो कि गंगनहर परियोजना, भाखड़ा नहर परियोजना तथा इंदिरा गॉंधी नहर परियोजना के अन्तर्गत आता है । इसके अतिरिक्त नहरी पानी में ट़यूबवेल का पानी साथ मिलाकर भी सिचाई की जाती है ।
मुख्य पैदावार
जिले को राजस्थान में ग्रीन बेल्ट के नाम से जाना जाता है । यहॉं की मुख्य फसलें निम्नलिखित प्रकार से है -
खरीफ में नरमा कपास, गन्ना तथा ग्वार
रबी में गेंहू, सरसों, जौ तथा चना
इन सब के अतिरिक्त जिलें के किन्नू (एक प्रकार का नींबू प्रजातीय फल है जिसमें विटामीन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैं ) की भी विदेशों में अत्यधिक मांग होने के कारण लगभग सारी फसल निर्यात हो जाती है ।
यातायात
यह जिला सभी जगहों से रेल तथा सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है । राष्ट्रीय राजमार्ग 15 भी इस जिले से होकर है जो कि गुजरात के कांडला बन्दरगाह से पंजाव के पठानकोट तक जाता है । जम्मू तवी एक्सप्रेस इस जिले की तहसील सूरतगढ से होकर गुजरती है जो कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक चलती है ।
http://www.sriganganagarcity.com/
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7 years ago
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